अपरा एकादशी, जिसे अचल एकादशी भी कहा जाता है, हिंदू मान्यताओं का एक महत्वपूर्ण त्योहार है जो हिंदू माह ज्येष्ठ में शुक्ल पक्ष के ग्यारहवें दिन मनाया जाता है। यह त्योहार भारत और दुनिया के अन्य हिस्सों में हिंदू भक्तों द्वारा बड़ी भक्ति और श्रद्धा से मनाया जाता है।

अपरा एकादशी का महत्व (Significance of Apara Ekadashi)
अपरा एकादशी हिंदुओं के लिए एक अत्यंत शुभ दिन माना जाता है। इस दिन उपवास रखने से मान्यता है कि व्यक्ति का मन, शरीर और आत्मा साफ होते हैं और उनकी जिंदगी में शांति और समृद्धि आती है। यह माना जाता है कि इस उपवास से सभी पाप नष्ट होते हैं और मोक्ष (मुक्ति) प्राप्त होता है।
अपरा एकादशी पर किए जाने वाले रीति-रिवाज (Rituals and Traditions Observed on Apara Ekadashi)
अपरा एकादशी पर, भक्त भोर के समय उठकर स्नान करते हैं। फिर वे भगवान विष्णु की पूजा करते हैं और फल, फूल और अन्य शुभ सामग्री का भोग भोग कर देवता को अर्पण करते हैं। बहुत से लोग इस दिन सख्त उपवास रखते हैं और पूरे दिन कुछ भी खाने या पीने से बचते हैं।
भक्त भगवान विष्णु की स्तुति के लिए प्रार्थना, मंत्र और स्तोत्र भी जपते हैं और उनकी पूजा के लिए समर्पित मंदिरों का दर्शन करते हैं। कई लोग इस दिन गरीबों और जरूरतमंदों को खाने-पीने, कपड़े और अन्य आवश्यक वस्तुओं का दान भी देते हैं।
FAQs
- अपरा एकादशी का मतलब क्या होता है?
- अपरा एकादशी का मतलब होता है ज्येष्ठ महीने के शुक्ल पक्ष की ग्यारहवीं तारीख को मनाया जाने वाला त्योहार।
- अपरा एकादशी का व्रत कैसे करते हैं?
- अपरा एकादशी का व्रत करने के लिए अन्न और पानी का त्याग करना होता है और भगवान विष्णु की पूजा करनी होती है।
- अपरा एकादशी में क्या नहीं खाना चाहिए?
- अपरा एकादशी में चावल, मांस, मदिरा, मसूर दाल, आदि नहीं खाना चाहिए।
- अपरा एकादशी में क्या खाना चाहिए?
- अपरा एकादशी में फल, दूध, ताजा सलाद, तुलसी, नीम, आदि खाने-पीने के लिए उपयुक्त होते हैं।
- 2023 में अपरा एकादशी कब है?
- 2023 में अपरा एकादशी 15 मई को है।